विश्व सनातन महापीठ उद्‍घोषणा एवं शिला पूजन समारोह – 21 नवम्बर 2025

विश्व सनातन महापीठ उद्‍घोषणा एवं शिला पूजन समारोह – 21 नवम्बर 2025

Admin November 28, 2025 70 Views

स्थान — अमेरिकन आश्रम, रानी गली, भूपतवाला, हरिद्वार

21 नवम्बर 2025 का दिन हरिद्वार की पावन भूमि के लिए अत्यंत दिव्य और ऐतिहासिक रहा। अमेरिकन आश्रम में विश्व सनातन महापीठ की उद्‍घोषणा एवं शिला पूजन समारोह अद्भुत आध्यात्मिक ऊर्जा और 5000+ श्रद्धालुओं की उपस्थिति के बीच सम्पन्न हुआ। यह आयोजन सनातन संस्कृति के नवयुग का शुभारंभ प्रतीत हुआ।

शुभारंभ

कार्यक्रम की शुरुआत वैदिक मंत्रोच्चार, यज्ञ-पूजन, ध्वज फहराने और दीप प्रज्वलन से हुई। भजन-कीर्तन और भक्तिमय वातावरण ने पूरे परिसर को दिव्यता से भर दिया।

मुख्य संतों व विशिष्ट अतिथियों का आगमन

समारोह में अनेक संतों और सम्मानित अतिथियों ने उपस्थित होकर आयोजन को गौरवान्वित किया—

• अनुरुद्धाचार्य जी महाराज

• देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज

• जगतगुरु ब्रह्मऋषि

• ह्मर्षि कुमार स्वामी जी

• महंत रविंद्र पुरी जी

• महंत मुरलीधरन जी

• अश्विनी उपाध्याय जी

• विष्णु शंकर जैन जी

• करौली शंकर महाराज जी

• गौतम खट्टर जी

• स्वामी सच्चिदानंद जी

• अविचल दास जी

• जगद्गुरु भैया जी महाराज

• राज राजेश्वर गुरु जी

• संजय आर्य शास्त्री जी

• महामंडलेश्वर गोपाल दास जी

• पूज्य श्री संजीव कृष्ण जी महाराज

• अमरीश त्यागी जी

संतों के आगमन से वातावरण “जय श्रीराम” और “हर हर महादेव” के जयघोष से गूँज उठा।

तीर्थ सेवा न्यास की गरिमामयी उपस्थिति

संरक्षक — पूज्य बाबा हठयोगी जी महाराज

अध्यक्ष — तीर्थाचार्य रामविशाल दास जी महाराज

महामंत्री — महंत ओम दास जी महाराज

उपाध्यक्ष — डॉ. गौतम खट्टर, राजेश कुमार, अशोक सोलंकी

राष्ट्रीय समन्वयक — शिशिर चौधरी

कोषाध्यक्ष — पूजा कन्नौजिया जी

साथ ही न्यास की टीम

• आशीष भट्ट (मैनेजर)

• स्नेहा खुराना (HR Head)

• सुजाता शर्मा (HR Manager)

• शैवी कर्नवाल (ग्राफिक डिज़ाइनर)

इन सभी के सहयोग ने आयोजन को सफल और सुव्यवस्थित बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

शिला पूजन

समारोह का सबसे पवित्र क्षण शिला पूजन रहा, जिसमें विश्व सनातन महापीठ की आधारशिला को वैदिक विधि-विधान और संतों के आशीर्वाद के साथ अभिषिक्त किया गया। यह क्षण सभी श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत भावपूर्ण और स्मरणीय बना।

समापन

यह आयोजन भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म की महिमा को विश्वपटल पर स्थापित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। हरिद्वार से उठी यह आध्यात्मिक ज्योति आने वाली पीढ़ियों को धर्म, संस्कार और अध्यात्म का प्रेरणास्रोत बनी रहेगी।